aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जहान-ए-आलम"
ये सफ़र ख़त्म हो कैसे 'आलम'तू मिरे साथ चलता नहीं है
मुसलमानान-ए-आलम परयही कुछ सोच कर यारो
बाग़-ए-आलम के ताज़ा शगुफ़्ता गुलूबे-नियाज़ाना महका करो ख़ुश रहो
जहान-ए-रंग-ओ-बू के साथकुल आलम बदलता है
ये जहान-ए-रंग-ओ-बूएक तूफ़ान-ए-बला
ये जहान-ए-रंग-ओ-बूघूमते पहियों धड़कती गाड़ियों की हिचकियाँ
ठंडी हवा आईजहान-ए-शोर-ओ-शर लेकिन
ज़िंदगी के सौदागरहै जहान-ए-बे-पायाँ
उस का ईमाँ है जान-ए-यक-जेहतीउस की फ़ितरत में मेहरबानी है
नाचीज़ जहान-ए-मह-ओ-पर्वीं तिरे आगेवो 'आलम-ए-मजबूर है तू आलम-ए-आज़ाद
जहान-ए-तमन्नाजहाँ लोग कहते हैं
तिरी हयात कि है तर्जुमान-ए-मुस्तक़बिललिए है कैफ़-ओ-नशात-ए-जहान-ए-मुस्तक़बिल
ठहरने दो अभी बे-रब्त आबशारों कोजहान-ए-सौत-ओ-सदा ख़ामुशी का तालिब है
जहान-ए-ख़ुद-फ़रामोशीके बादल छट गए सारे
जहान-ए-ख़ुश-मआश केकिसी नए फ़रेब की है मुंतज़िर
हमारे नए ख़्वाब हैं आदम-ए-नौ के ख़्वाबजहान-ए-तग-ओ-दौ के ख़्वाब
कि इख़्तिसार-ए-हयात ही वजह-ए-दिल-कशी हैजहान-ए-ज़ेर-ओ-ज़बर के झगड़ों से
तिरे दम से जहाँ में सरफ़राज़ी मुझ को हासिल हैमैं तेरे गीत गाता हूँ जहान-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में
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