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नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
कुछ इस तरह से बढ़ा दिल में ज़ौक़-ए-आज़ादी
कि रफ़्ता रफ़्ता तमन्ना जवान होती गई
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
गिरामी-क़द्र भी ज़ी-तमकनत भी मोहतरम भी हैं
तब-व-ताब-ए-चमन भी ज़ौक़-ए-तमकीन-ए-बहाराँ भी
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
तेरा हर लम्हा मुनव्वर हर घड़ी नय्यर-ब-दोश
ज़िंदगी तेरी रहे मिस्ल-ए-चराग़-ए-ज़ौ-फ़रोश
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
ये तबस्सुम ये तकल्लुम ये तमाशा ये निगह
यूँ तो सब कुछ है यहाँ और यहाँ कुछ भी नहीं
मसऊद हुसैन ख़ां
नज़्म
ये तबस्सुम ये तकल्लुम ये तमाशा ये निगह
यूँ तो सब कुछ है यहाँ और यहाँ कुछ भी नहीं