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नज़्म
दूर ही से ऐसे इल्म-ए-जहल-पर्वर को सलाम
हुस्न-ए-निस्वाँ को बना देता हो जो जागीर-ए-आम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तिरी जागीर में इरफ़ाँ की मस्ती है गुरु-नानक
तिरी तहरीर औज-ए-हक़-परस्ती है गुरु-नानक