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नज़्म
मुईन अहसन जज़्बी
नज़्म
ख़याल-ए-नज़्म-ए-मय-कदा नहीं है फ़िक्र-ए-जाम है
मिला वो इख़्तियार जिस पे बेबसी है ख़ंदा-ज़न
मोहसिन भोपाली
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
जाम-ए-आतिश-ज़ेर-ए-पा की ओट ले कर साक़िया
बोतलों में डूब जाने का ज़माना आ गया
शमीम फ़ारूक़ बांस पारी
नज़्म
जो साए दूर चराग़ों के गिर्द लर्ज़ां हैं
न जाने महफ़िल-ए-ग़म है कि बज़्म-ए-जाम-ओ-सुबू
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
भड़कती जा रही है दम-ब-दम इक आग सी दिल में
ये कैसे जाम हैं साक़ी ये कैसा दौर है साक़ी