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नज़्म
दाम-ए-सिमीन-ए-तख़य्युल है मिरा आफ़ाक़-गीर
कर लिया है जिस से तेरी याद को मैं ने असीर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़ख़्म-ख़ुर्दा हैं तख़य्युल की उड़ानें तेरी
तेरे गीतों में तिरी रूह के ग़म पलते हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मेरे तख़य्युल में जो इक तस्वीर बन के रह गई
जो दिल में मेरे बस के तक़दीर में किसी और की हो गई
आमिर रियाज़
नज़्म
जगमगा उठती है दुनिया-ए-तख़य्युल जिस से
दिल में वो शोला-ए-जाँ-सोज़ दबा रक्खा है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
तख़य्युल में तिरे नज़दीक जब मैं ख़ुद को पाता हूँ
मुझे उस वक़्त इक-तरफ़ा ख़ुशी महसूस होती है