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नज़्म
कितना दर्द-आमेज़ था नग़्मा दिल-ए-नाशाद का
तीर तरकश में तड़प उट्ठा सितम ईजाद का
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
आह-ए-दिल-ए-मुज़्तर की तासीर नज़र आई
क्या ख़्वाब-ए-मोहब्बत की ता'बीर नज़र आई
सयय्द महमूद हसन क़ैसर अमरोही
नज़्म
मुझे तेरे तसव्वुर से ख़ुशी महसूस होती है
दिल-ए-मुर्दा में भी कुछ ज़िंदगी महसूस होती है
कँवल एम ए
नज़्म
यूँ फ़ज़ाओं में रवाँ है ये सदा-ए-दिल-नशीं
ज़ेहन-ए-शाइर में हो जैसे इक अछूता सा ख़याल
इब्न-ए-सफ़ी
नज़्म
दिल की न पूछो क्या कुछ चाहे दिल का तो फैला है दामन
गीत से गाल ग़ज़ल सी आँखें साअद-ए-सीमीं बर्ग-ए-दहन
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
चमकते हुए सब बुतों को मिटा दो
कि अब लौह-ए-दिल से हर इक नक़्श हर्फ़-ए-ग़लत की तरह मिट चुका है
फ़ख़्र-ए-आलम नोमानी
नज़्म
ख़ून-ए-दिल देना पड़ा ख़ून-ए-जिगर देना पड़ा
अपने ख़्वाबों की हसीं परछाइयाँ देना पड़ीं