aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "दानिश-ए-बुरहानी"
गुज़र के दानिश-ए-हाज़िर के आसमानों सेबुलंद सादगी-ए-इश्क़ का मक़ाम किया
तू चाट गया दानिश-ए-कोहना की फ़सीलेंबुनियाद-ए-इमारत को है ढाना तिरी हाबी
होंटों की प्यास बुझानी है अब तिरे जी को ये बात लगे न लगेतुझ से जो मैं ने प्यार किया है तेरे? लिए नहीं अपने लिए
ये किश्त-ए-बारानी भरती हैये जन्मों की प्यास हो जैसे इस मिट्टी की
जलाल-ए-शैख़-ओ-शिकोह-ए-बरहमनी के जुलूसहवस के सीनों में आतिश-कदे छुपाए हुए
वो शायद माइदे की गंद बिरयानी न खाती होवो नान-ए-बे-ख़मीर-ए-मैदा कम-तर ही चबाती हो
ये इल्म-ओ-फ़न के तमाम क़िस्सेये अक़्ल-ओ-दानिश की सारी बातें
मैं गहरी सोच में गुम हूँसफ़-ए-दानिश-वराँ क्या इन से बरतर है?
बोला कव्वा कि ओ रट्टू तोते ये सुनमेरी दानिश का हर शख़्स गाता है गुन
ख़्याबान-ए-दानिश-गह-ए-मुंबई सेयहाँ राजपथ के सफ़र तक
और हमारी लोक-दानिश का हमारे मदरसों में दाख़िला ममनूअ' ठहरा हैज़र-ए-ख़ालिस लुटाया जा रहा है कोएलों पर सख़्त पहरा है
और मुझ पर हर्जाने का दावा करेंमाहेरीन-ए-इबलाग़-ए-आम्मा, सहाफ़ी, दानिश-वर, सिवल-सोसाइटियों के नुमाइंदे
कि हम बुज़ुर्गान-ए-साहब-ए-इख़्तियार की उम्र-ख़ुर्दा दानिशखड़े सफ़र के असीर वक़्तों की कैसी ज़ंजीर बन गई है
कि ऐ फ़ाज़िल-ए-दर्स-गाह-ए-हिमाक़तहिजाबात-ए-दानिश उठा कर भी देखो
बज़्म-ए-दानिश में पशेमान नज़र आता हैयूरिश-ए-ग़म से वो हलकान नज़र आता है
तू बर्फ़ानी बदन मेंजू-ए-ख़ूँ आहिस्तगी से गुनगुनाती है
देखो तो अहल-ए-हिकमत-ओ-दानिश का इज़्तिराबतस्ख़ीर-ए-काएनात की नाकाम आस पर
अब तक है मशहूर-ए-ज़माँ'चाणक्य' की दानिश-वरी
अक़्ल-ओ-दानिश पे कुफ़्र के फ़तवेफ़िक्र-ओ-फ़न पर है तोहमत-ए-इल्हाद
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