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नज़्म
तिरे लुत्फ़-ओ-अता की धूम सही महफ़िल महफ़िल
इक शख़्स था इंशा नाम-ए-मोहब्बत में कामिल
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
अपने गुलहा-ए-अक़ीदत पेश करती हूँ तुझे
मुख़्तसर ये है मोहब्बत पेश करती हूँ तुझे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
दास्तान-ए-रंज-ओ-ग़म जब सुन चुकी वो नाज़नीं
नाज़ से बोली कि ये सब सच है हाँ ऐ नुक्ता-चीं
नबीउल हसन शमीम
नज़्म
बदल दे क़िस्सा-ए-मजनून-ए-पाबंद-ए-सलासिल को
बदल दे दास्तान-ए-कोहना-ए-लैला-ए-महमिल को
बर्क़ आशियान्वी
नज़्म
दास्तान-ए-आलम-ए-फ़ुर्क़त किसी से क्या कहें
हो गया बरबाद हर ज़र्रा दिल-ए-नाशाद का
राज्य बहादुर सकसेना औज
नज़्म
ऐ शहीद-ए-जलवा-ए-मानी फ़क़ीर-ए-बे-नियाज़
इस तरह किस ने कही है दास्तान-ए-सोज़-अो-साज़
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
सुनो गर सुन सको तुम दास्तान-ए-ख़ूँ-चकाँ मेरी
रुला देगी मगर आँसू लहू के दास्ताँ मेरी