आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दिल-ए-ज़-कार-ए-जहाँ"
नज़्म के संबंधित परिणाम "दिल-ए-ज़-कार-ए-जहाँ"
नज़्म
जहाँबानी से है दुश्वार-तर कार-ए-जहाँ-बीनी
जिगर ख़ूँ हो तो चश्म-ए-दिल में होती है नज़र पैदा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हारिस बिलाल
नज़्म
नजीब अहमद
नज़्म
उस की अज़्मत के शवाहिद चार जानिब हैं अयाँ
है हर इक ज़र्रे के दिल में मालिक-ए-मुल्क-ए-जहाँ
मोहम्मद असदुल्लाह
नज़्म
इस क़दर प्यार से ऐ जान-ए-जहाँ रक्खा है
दिल के रुख़्सार पे इस वक़्त तिरी याद ने हात