आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "दूँगा"
नज़्म के संबंधित परिणाम "दूँगा"
नज़्म
दिखा दूँगा जहाँ को जो मिरी आँखों ने देखा है
तुझे भी सूरत-ए-आईना हैराँ कर के छोड़ूँगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
यही वादी है वो हमदम जहाँ 'रेहाना' रहती थी
ब-रब्ब-ए-काबा उस की याद में उम्रें गँवा दूँगा
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ख़याल-ए-मौत को मैं अपने दिल में अब न दूँगा राह
जियूँगा हाँ जियूँगा ऐ निगाह-ए-आश्ना-ए-यार
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
आज से मैं अपने गीतों में आतिश-पारे भर दूँगा
मद्धम लचकीली तानों में जीवट धारे भर दूँगा
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मैं एक पत्थर सही मगर हर सवाल का बाज़-गश्त बन कर जवाब दूँगा
मुझे पुकारो मुझे सदा दो