aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "नक़्शा-ए-आसाब"
यज़ीद नक़्शा-ए-जौर-ओ-जफ़ा बनाता हैहुसैन उस में ख़त-ए-कर्बला बनाता है
बहर-ए-आसाब की तामीर का इक नक़्श-ए-अजीबजिस की सूरत से कराहत आए
जब साअत-ए-माहताब होयूँ भी तो है कि और ही नक़्शा-ए-ख़ाक-ओ-आब हो
ये बेबसी तो खा चलीबिसात-ए-दिल पे नक़्शा-ए-शिकस्त-दम बिछा चली
झूलते पुल से उतर करनक़्शा-ए-तक़वीम में
किस लिए खिंचते चले जाते हैं ये आसाब मेरेअहद-ए-नौ के किस मुग़न्नी का जुनूँ
वक़्त के इस नक़्शा-ए-मुबहम पे कौनउस के मस्कन का लगाएगा सुराग़
चश्मे उबल रहे थे सुरूर-ओ-नशात केथा चावड़ी का नक़्शा-ए-उर्यां खिंचा हुआ
तसव्वुरात की दुनिया को ढूँढता हूँ कि ज़ीस्ततिरे तक़ाज़ों की हद नक़्शा-ए-जहाँ में नहीं
नक़्श-ए-ग़म नाला-कुनाँ
जबरास्तों पर नक़्श-ए-पा
हातिमनक़्श-ए-पा कोई नहीं
छोड़ गया हैनक़्श-ए-क़दम
नक़्श-ए-क़दम हैंसिर्फ़ धुआँ है
ख़ाकिस्तर-ए-दिल को है फिर शोला-ब-जाँ होनाहैरत का जहाँ होना हसरत का निशाँ होना
इस राज़ को समझोये नक़्श-ए-ख़याली
बन गया नक़्श-ए-वजूद-ए-काएनातऔर फिर
मोहनतुम्हारे नक़्श-ए-कफ़-ए-पा पे
एक साया एक अक्सएक नक़्श-ए-ना-तमाम
नग़मगी और नवाया कोई नक़्श-ए-पा
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