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नज़्म
तू हमेशा रहता है चीं-बर-जबीं अफ़्सुर्दा दिल
फिर किसी की बज़्म-ए-इशरत में न जा बहर-ए-ख़ुदा
नज़्म तबातबाई
नज़्म
वहीं जा कर थमेगा कारवान-ए-लाला-ओ-गुल भी
नसीम-ए-सुब्ह के झोंके जहाँ जा कर ठहरते हैं
नज़्म तबातबाई
नज़्म
वक़्त-ए-सहर, ख़ामोश धुँदलका नाच रहा है सेहन-ए-जहाँ में
ताबिंदा, पुर-नूर सितारे, जगमग जगमग करते करते
रिफ़अत सरोश
नज़्म
अज़्म से बनता है मुस्तक़बिल-ए-अक़्वाम-ए-जहाँ
अज़्म-ए-इंसाँ को समझ आज की हालत को न देख
सफ़दर आह सीतापुरी
नज़्म
दश्त-ए-तन्हाई में ऐ जान-ए-जहाँ लर्ज़ां हैं
तेरी आवाज़ के साए तिरे होंटों के सराब
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ये ख़ार-ज़ार-ए-जहाँ साफ़ कर रहा हूँ मैं
ज़मीन पर है बनाना मुझे ख़ुद अपना बहिश्त