aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "नीम-फ़रामोशी"
जो मुझे याद भी आएँकैसी दीवार है ये नीम-फ़रामोशी की
नीम-शब चाँद ख़ुद-फ़रामोशीमहफ़िल-ए-हस्त-ओ-बूद वीराँ है
क्या सोचती होदीवार-ए-फ़रामोशी से उधर क्या देखती हो
ज़र्रा ज़र्रा दहर का ज़िंदानी-ए-तक़दीर हैपर्दा-ए-मजबूरी ओ बेचारगी तदबीर है
خود آگاہي نے سکھلا دي ہے جس کو تن فراموشي حرام آئي ہے اس مرد مجاہد پر زرہ پوشي
जबमैं ने
मैं ने तुम्हेंतुम्हारे कँवल झील चेहरे को
हमआख़िरी बार किसी
हिचकियाँ आती हैं दिल डूब रहा है शायदआज भूले से तुम्हें याद मिरी आई है
सुनो आज हम में से किसी को मौत ने ताकाअचानक मर गया कोई
हर तरफ़ दौर-ए-फ़रामोशी हैज़ेहन सहमा हुआ बैठा है कहीं
वो वा'दा आप कावा'दा
अब नहीं आउँगामैं तुम्हारे किसी दाम में
आज छब्बीस हैजनवरी की मगर
मैं था और फूल थे इक गोशा-ए-तन्हाई मेंहम से कुछ दूर परिंदे भी थे गहराई में
1मिरी ख़ल्वत के हाले में तुम्हारा ये तिलस्माती बदन
दिल की धड़कन से अयाँ ज़ेहन के पर्दों में निहाँधुँदला धुँदला सा वो इक अक्स तिरे चेहरे का
मुझ से पहले तुझे जिस शख़्स ने चाहा उस नेशायद अब भी तिरा ग़म दिल से लगा रक्खा हो
चला था घर से कि बच्चे की फ़ीस देनी थीकहा था बीवी ने बेच आऊँ बालियाँ उस की
उन सीढ़ियों परऔर उन से ऊपर एक तंग मकान के फ़र्श पर
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