aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पकड़ना"
वो चिड़ियाँ वो बुलबुल वो तितली पकड़नावो गुड़ियों की शादी पे लड़ना झगड़ना
भरी धूप में वो पतंगें पकड़ना''वो बातों ही बातों में लड़ना झगड़ना''
कि ये नायाब चीज़ें अब तुम्हारी दस्तरस में हैंतुम्हें सपने पकड़ने की तमन्ना है
पहरों बातें करते गुज़रेवो हाथ में हाथ पकड़ना
वो अपनी नफ़्इ से इसबात तक माशर के पहुँचा हैकि ख़ून-ए-रायगाँ के अम्र में पड़ना नहीं हम को
ढेर से साए पकड़ने के लिए भागते हैंतुम ने साहिल पे खड़े गिरजे की दीवार से लग कर
मगर उस ने रोका न मुझ को मनायान दामन ही पकड़ा न मुझ को बिठाया
जहाँ एक मा'सूम बच्चा परिंदे पकड़ने के सारे हुनर जानता थामुझ को मा'लूम था
ये बात कही और उड़ी अपनी जगह सेपास आई तो मकड़े ने उछल कर उसे पकड़ा
एक एक तिनके से आशियाँ बनाने मेंख़ुशबुएँ पकड़ने में गुलिस्ताँ सजाने में
मैं ने जा पकड़ा उसे, देखी हुई सूरत थीकिस का है मैं ने किसी से पूछा?
जिस को तुम ने अर्ज़ गुज़ारीजो था हाथ पकड़ने वाला
लब पे आया तो ज़बाँ कटने लगीदाँत से पकड़ा तो लब छिलने लगे
सदा को किस ने पकड़ा हैमकानी दूरियाँ कैसी? ज़मानी क़ुर्बतें कैसी?
इक रोज़ वालिदा से जा कर कहा किचन मेंअब छोड़िएगा अम्मी ये रोटियाँ पकाना
गिर गया तेज़ हवाओं से अगर तय्यारापकड़ा जाता है मुसलमान यहाँ बे-चारा
भला किसी ने कभी रंग ओ बू को पकड़ा हैशफ़क़ को क़ैद में रक्खा सबा को बंद किया
गिर पड़ना फिर खुली हुई बाँहों में थक करशाम-ए-जुदाई
वो ख़ुद-रौ झाड़ियाँ हम जिन में तितली भी पकड़ने को अगर जातेतो ज़ख़्मी हो के आते थे
जॉब भी करनी है खाना भी पकाना है मुझेशेर भी कहने हैं मिसरा भी उठाना है मुझे
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books