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नज़्म
मेरे ख़्वाबों में उतर कर मख़्लूक़-ए-ख़ुदा की आरज़ूओं का अंदाज़ा कर
मेरे दिल में पड़ाव कर
मोहम्मद हनीफ़ रामे
नज़्म
ये नहीं कि मुझ को अमाँ मिलेगी शब-ए-अबद के पड़ाव में
ज़रा इंतिज़ार कि जब वजूद का कूज़ा-गर