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नज़्म
हूक उठती है ये सुन मेरे दिल-ए-नाकाम में
पलटनें कुफ़्फ़ार की हों ख़ाना-ए-इस्लाम में
शहज़ादी कुलसूम
नज़्म
बोली तस्वीर जो मैं ने उसे उल्टा पल्टा
मैं वो जामा हूँ कि जिस का नहीं सीधा उल्टा
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
पलटने ही को है क़िस्मत तुम्हारी ऐ वतन वालो
तुम्हारे वास्ते ये अर्श से पैग़ाम आता है
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
तू ने वरक़ को उल्टा वो दौर तू ने पल्टा
आँखों में मेरी अब तक फिरता है सब वो नक़्शा