aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "पस-ए-आब"
मेरी महबूब पस-ए-पर्दा-ए-तश्हीर-ए-वफ़ातू ने सतवत के निशानों को तो देखा होता
मैं पस-ए-आईना हूँ
पस-ए-दीवार-ए-ज़िंदाँ कौन मरता है
तिरी आबरू का कफ़न बनीपस-ए-नूर-ए-शो'ला-ए-आगही
फ़लक कि सर पर रिदा-ए-आब-ए-गुहर हो जैसेफ़ज़ा मुनव्वर
यकायक ख़लाओं की पहनाइयों मेंपस-ए-पर्दा-ए-शब से
कहाँ हँस रहे होपस-ए-क़हक़हा
वो मानूस जज़्बों से सरशार बातेंजो पस-ए-पर्दा-ए-दर्द-ए-दिल
मुमकिन है कि साहिल हो पस-ए-पर्दा-ए-तूफ़ाँभारत के मुसलमाँ
गिराँ गरचे है सोहबत-ए-आब-ओ-गिलख़ुश आई इसे मेहनत-ए-आब-ओ-गिल
और पस-ए-पुश्त तेरी बुराईकरें तेरे दुश्मन
पस-ए-तक़रीब-ए-मुलाक़ात यहाँ शाम ढले
इक तेग़ की जुम्बिश सी नज़र आती है मुझ कोइक हाथ पस-ए-पर्दा-ए-दर देख रहा हूँ
जिन्हें देख के आँखें रौशन थींपिन्हाँ पस-ए-पर्दा-ए-ख़ाक हुए
इक हसीं गाँव था कनार-ए-आबकितना शादाब था दयार-ए-आब
और पस-ए-दीवार जाने की तग-ओ-दौ
नविश्ता-ए-पस-ए-दीवार क्या है क्या मा'लूम
जो भी मंज़र पस-ए-धुंद थेसारे धुँदला गए
ये फ़िर्क़ों की जुनूँ-ख़ेज़ीपस-ए-पर्दा मज़ाहिब के
इक हयूला सा पस-ए-शहर-ए-ग़ुबारऔर मुझे जकड़े हुए ख़ुद मिरी बाहोँ के हिसार
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