आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "पामाल"
नज़्म के संबंधित परिणाम "पामाल"
नज़्म
जिसे ये भी न हो मालूम वो है भी तो क्यूँ-कर है
कोई हालत दिल-ए-पामाल में रखता भी तो कैसे
जौन एलिया
नज़्म
अभी पामाल-ए-जौर आदम को सीने से लगाना है
मुझे जाना है इक दिन तेरी बज़्म-ए-नाज़ से आख़िर
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ख़ूँ चूस रहा है पौदों का इक फूल जो ख़ंदाँ होता है
पामाल बना कर सब्ज़ों को इक सर्व खरामा होता है
नुशूर वाहिदी
नज़्म
चलो मैं ने माना कि शहर-ए-हवस में हैं काफ़ी दरिंदे
जिन्हों ने सदा इब्न-ए-आदम की शोहरत को पामाल रक्खा
रहमान फ़ारिस
नज़्म
हुस्न जब अफ़्सुर्दा फूलों की तरह पामाल था
जब मोहब्बत का ग़लत दुनिया में इस्ति'माल था