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नज़्म
वो दुनिया शम-ए-आज़ादी के परवानों की बस्ती थी
जहाँ फ़ितरत सँवरती थी जहाँ मस्ती बरसती थी
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
ऐ उरूस-ए-बम्बई सद-हैफ़ पीरों का शिकार
क़ाफ़िले पीरों के बैठे हैं क़तार-अंदर-क़तार
इज़हार मलीहाबादी
नज़्म
यहाँ ख़्वाब-ए-सुकूँ-परवर में भी बेदारियाँ देखीं
यहाँ हर होशियारी में नई सरशारियाँ देखीं
मयकश अकबराबादी
नज़्म
अलग दुनिया की कारों से मुग़ल की कार है प्यारे
सुना है पिछले दस सालों से ये बीमार है प्यारे
असद जाफ़री
नज़्म
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
दलील-ए-सुब्ह-ए-रौशन है सितारों की तुनुक-ताबी
उफ़ुक़ से आफ़्ताब उभरा गया दौर-ए-गिराँ-ख़्वाबी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जिस की दुनिया कैफ़-ओ-सरमस्ती की हासिल बे-गुमाँ
आश्ती थी जिस की फ़ितरत जिस का मज़हब प्यार था
साहिर होशियारपुरी
नज़्म
मुसव्विर की क़सम उस का हसीं शहकार ज़िंदा है
मैं फ़ितरत का उजाला हूँ अँधेरों से नहीं डरता