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नज़्म
आसिम बद्र
नज़्म
वही प्यारे मधुर अल्फ़ाज़ मीठी रस-भरी बातें
वही रौशन रुपहले दिन वही महकी हुई रातें
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
तिरा दिल ज़रा भी ज़ालिम जो वफ़ा-शिआ'र होता
तुझे मेरी क़द्र होती तुझे मुझ से प्यार होता
जलील क़िदवई
नज़्म
सबक़ बस खेलने खाने का जिस को याद होता है
बड़ा हो कर वो लड़का एक दिन उस्ताद होता है
मुश्ताक़ अहमद नूरी
नज़्म
अब किताबों, तख़्तियों की बे-मज़ा छाँव तले घुटता है दम
अब बदन छुपता नहीं अख़बार के मल्बूस में