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नज़्म
मुख़्तसर होगा 'रिशी' क्यूँकर बयान-ए-आशिक़ी
हाल क्या क्या हो गए अहवाल क्या क्या बन गए
ऋषि पटियालवी
नज़्म
न रहा ग़लबा-ए-सौदा-ए-बयान-ए-ग़ालिब
'दाग़' ने पाई दिल-ए-तफ़्ता में जा तेरे बाद
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
तेरे हर लफ़्ज़ में हो दर्द-ए-मोहब्बत की तड़प
हर सुख़न शरह-ए-बयान-ए-ख़लिश-ए-दिल हो जाए
सरीर काबिरी
नज़्म
वो शिद्दत-ए-बयाँ हो कि हो जुरअत-ए-बयान-ए-हक़
गुस्ताख़ इतनी हो गई मेरी ज़बाँ कभी कभी