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नज़्म
न तुम मेरी तरफ़ देखो ग़लत-अंदाज़ नज़रों से
न मेरे दिल की धड़कन लड़खड़ाए मेरी बातों से
साहिर लुधियानवी
नज़्म
लोग ज़ालिम हैं हर इक बात का तअना देंगे
बातों बातों में मिरा ज़िक्र भी ले आएँगे
कफ़ील आज़र अमरोहवी
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
उन से जो कहने गए थे 'फ़ैज़' जाँ सदक़े किए
अन-कही ही रह गई वो बात सब बातों के बा'द
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क्या बर्तन सोने चाँदी के क्या मिट्टी की हंडिया चीनी
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चले गा बंजारा
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
बरतर अज़ अंदेशा-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ है ज़िंदगी
है कभी जाँ और कभी तस्लीम-ए-जाँ है ज़िंदगी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जिन शहरों में गूँजी थी ग़ालिब की नवा बरसों
उन शहरों में अब उर्दू बेनाम-ओ-निशाँ ठहरी
साहिर लुधियानवी
नज़्म
तख़लिए की बातों में गुफ़्तुगू इज़ाफ़ी है
प्यार करने वालों को इक निगाह काफ़ी है