आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बहकाता"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बहकाता"
नज़्म
गर मुझे इस का यक़ीं हो मिरे हमदम मरे दोस्त
रोज़ ओ शब शाम ओ सहर मैं तुझे बहलाता रहूँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
क्या सख़्त मकाँ बनवाता है ख़म तेरे तन का है पोला
तू ऊँचे कोट उठाता है वाँ गोर गढ़े ने मुँह खोला
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
रातें सहना और अपने ख़्वाबों में रहना
ख़्वाबों को बहकाने वाले दिन के उजालों से अच्छा है
जौन एलिया
नज़्म
मगर ऐ काश देखें वो मिरी पुर-सोज़ रातों को
मैं जब तारों पे नज़रें गाड़ कर आँसू बहाता हूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इसी के ख़र्रमी-ए-आग़ोश में उस का नशेमन था
इसी शादाब वादी में वो बे-बाकाना रहती थी
अख़्तर शीरानी
नज़्म
इक मादर-ए-मुफ़लिस ईद के दिन बच्चों को लिए बहलाती है
सर उन का कभी सहलाती है नर्मी से कभी समझाती है