aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बार-ए-अमानत"
आँख बार-ए-अमानत से चूरमौज-ए-ख़ूँ बे-नियाज़-ए-मआल
ज़र्रा ज़र्रा झूम कर लेने लगा अंगड़ाइयाँकहकशाँ तकने लगी हैरत से सू-ए-जू-ए-बार
हर इक के साथ रहे दौलत-ए-अमानत-ए-ग़मकोई नजात न पाए नजात से पहले
आसमाँ छूती इमारत बुलंदबार-ए-दीगर बार-ए-दीगर बार बार
इक बार-ए-गराँदूर तक
अपने बस का नहीं बार-ए-संग-ए-सितमबार-ए-संग-ए-सितम, बार-ए-कोहसार-ए-ग़म
इक ख़ला है कि फिरबार-ए-इम्कान है
पाँव मेंबार-ए-वामांदगी
जिन को बार-ए-बद-बख़्तीज़ीस्त के समुंदर में
आज बार-ए-दिगरवक़्त को जुस्तुजू है
दर्द और वाबस्तगीकाएनाती रिश्तों का बार-ए-गराँ
कहाँ नज़र मेंकोई बार-ए-दिगर आता है
रोटी नहीं खाईसरों की फ़स्ल बार-ए-ख़ुश्क-साली से गराँ है
बार-ए-गराँ बर-दोशइक नन्ही सी जान
हर एक लम्हा-ए-मौजूदबार-ए-दोश हुआ
बहार-ए-हस्तीशबाब-ए-हस्ती
हैं मुंतज़िर अब कि कब कोई ऐसा मोड़ आएकि बार-ए-इल्ज़ाम-ए-बेवफ़ाई कोई उठाए
ज़ेर-ए-बार-ए-जुमूद-ए-गराँएक संग-ए-मलामत की मानिंद
वक़्त का बार-ए-गराँसोचता हूँ कि अगर
ख़ाक के सीने पे आख़िर कब तलक ये बार-ए-ग़म
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