आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बाहर"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बाहर"
नज़्म
गुमाँ ये है कि शायद बहर से ख़ारिज नहीं हूँ मैं
ज़रा भी हाल के आहंग में हारिज नहीं हूँ
जौन एलिया
नज़्म
कितने तो भंग पी पी कपड़े भिगो रहे हैं
बाहें गुलों में डाले झूलों में सो रहे हैं