आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बीना"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बीना"
नज़्म
ज़ेहरा निगाह
नज़्म
जो है पर्दों में पिन्हाँ चश्म-ए-बीना देख लेती है
ज़माने की तबीअत का तक़ाज़ा देख लेती है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
अश्क-बारी के बहाने हैं ये उजड़े बाम ओ दर
गिर्या-ए-पैहम से बीना है हमारी चश्म-ए-तर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
नियस्तां से निकल कर हसरत-आबाद-ए-तमद्दुन में
गदा-ए-पीर ओ ना-बीना के हाथों का असा होता