aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "बे-नसीब"
लुभाता है दिल को कलाम-ए-ख़तीबमगर लज़्ज़त-ए-शौक़ से बे-नसीब
बा-अदब बा-नसीब होता हैतुम बुज़ुर्गों का एहतिराम करो
या ज़मीं के किसी बे-नसीब आदमी के लिएरौशनी की किरन और बारिश बने
ऐ मेरे बद-नसीब बापचीख़ चीख़ कर रोना
आमद है साल-ए-नौ की समाँ है बहार कासरसब्ज़ गुलिस्ताँ है दिल-ए-दाग़-दार का
शहर के सलम नामीबे-नसब ठिकानों की
इक बद-नसीब हूँ मैंया'नी ग़रीब हूँ मैं
क्या बद-नसीब हूँ मैं घर को तरस रहा हूँसाथी तो हैं वतन में मैं क़ैद में पड़ा हूँ
मकीन ही अजीब हैंबड़े ही बद-नसीब हैं
उठ कि पहुँचा चाहते हैं ग़ैर मंज़िल के क़रीबतू बदलता है अभी तक करवटें ऐ बद-नसीब
बे-नवा बे-रहम अपनी जान से बेज़ार क़ौमबे-हमिय्यत बद-नसीब ऐ मुफ़लिस-ओ-नादार क़ौम
तो ज़मीं ज़र-ख़ेज़ होती हैवो ताएफ़ हो कूफ़ा हो या मेरी बद-नसीब ज़मीन
हाए री बद-नसीब शाम घर से वो जब ख़फ़ा हुआहिचकियाँ आईं दम घुटा ख़ात्मा ज़ीस्त का हुआ
हर तरफ़ इक आलम-ए-कैफ़-ओ-तरब छाया हुआऔर तू ऐ बद-नसीब-ए-शौक़ मुरझाया हुआ
निकल के मदरसों और यूनीवर्सिटिय्यों सेये बद-नसीब न घर के न घाट के होंगे
बद-नसीबी गर्दनों का तौक़ हैऔर मेहनतों के हात ख़ाली हैं
हम अहल-ए-ए'तिबार कितने बद-नसीब लोग हैं
उस ने जबबे-हिसाब लोगों के नसीब में
अबतर शाख़साना हैये तेरी बद-नसीबी से भी बद-तर इक फ़साना है
लेकिन तू जिस के वास्ते रहती है बे-क़रारहोता है इस का क़ुर्ब महीनों तुझे नसीब
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