आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बैठते"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बैठते"
नज़्म
निकलते बैठते दिनों की आहटें निगाह में
रसीले होंट फ़स्ल-ए-गुल की दास्ताँ लिए हुए
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
क्या अच्छा ख़ुश-बाश जवाँ था जाने क्यूँ बीमार हुआ
उठते बैठते मीर की बैतें पढ़ना उस का शिआर हुआ
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
मैले कपड़ों में सही लोग मोहब्बत से जहाँ बैठते हैं
किसी बंदूक़ का दस्ता भी नहीं होना तुम्हें
फ़ाज़िल जमीली
नज़्म
वो तख़्त-ए-सल्तनत-ओ-बारगाह-ए-सुल्तानी
कि जिस में बैठते थे आ के ज़िल्ल-ए-सुब्हानी
मोहम्मद अली तिशना
नज़्म
और दिन-भर सोने वाले घर की दहलीज़ों पर आ कर बैठते हैं
और ख़्वाहिश-ओ-ख़ाब के अंदेशों में रात