आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "बैठेंगे"
नज़्म के संबंधित परिणाम "बैठेंगे"
नज़्म
गरचे मिल-बैठेंगे हम तुम तो मुलाक़ात के बा'द
अपना एहसास-ए-ज़ियाँ और ज़ियादा होगा
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
उन में मैं खो जाऊँगी और मुझ में वो खो जाएँगे
मेरे मन के छेड़ने को मुझ से वो बैठेंगे दूर
मयकश अकबराबादी
नज़्म
कब तक आँखें मूँद के बैठें कब तक धोका खाएँगे
कब तक देश लुटेगा यूँही कब हम होश में आएँगे
सदा अम्बालवी
नज़्म
बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर ये भूक के और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारा-दारी के
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
मस्ताना हाथ में हाथ दिए ये एक कगर पर बैठे थे
यूँ शाम हुई फिर रात हुई जब सैलानी घर लौट गए
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हम कि ठहरे अजनबी इतनी मुदारातों के बा'द
फिर बनेंगे आश्ना कितनी मुलाक़ातों के बा'द
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
लाख बैठे कोई छुप-छुप के कमीं-गाहों में
ख़ून ख़ुद देता है जल्लादों के मस्कन का सुराग़