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नज़्म
'इशक़-ओ-मस्ती की ब-आहंग-ए-‘ख़याम'-ओ-'हाफ़िज़'
साज़-ए-उर्दू से न निकलेगी सदा तेरे बा'द
बिस्मिल सईदी
नज़्म
जावेद नदीम
नज़्म
तुम्हारे अक़ब में ब-सद-शौक़ हर वक़्त चलता रहेगा
मुख़ालिफ़ फ़ज़ा में तुम्हारी ही धड़कन का हिस्सा रहेगा
अम्बर बहराईची
नज़्म
गुलशन-ए-आलम में जब तशरीफ़ लाती है बहार
रंग-ओ-बू के हुस्न क्या क्या कुछ दिखाती है बहार