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नज़्म
दामन-ए-शौक़ को थामे हुए हैं शर्म-ओ-हया
दिल धड़कता है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की रात
क़ाज़ी गुलाम मोहम्मद
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
कार-फ़रमा फिर मिरा ज़ौक़-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी है आज
फिर नफ़स का साज़-ए-गर्म-ए-शो'ला-अफ़्शानी है आज