आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मरमरीं"
नज़्म के संबंधित परिणाम "मरमरीं"
नज़्म
तबस्सुम मुज़्महिल था मरमरीं हाथों में लर्ज़िश थी
वो कैसी बे-कसी थी तेरी पुर-तम्कीं निगाहों में
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
जाने उन मरमरीं जिस्मों को ये मरियल दहक़ाँ
कैसे इन तीरा घरोंदों में जनम देते हैं
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मरमरीं ख़्वाबों की परियों से लिपट कर सो जाओ
अब्र पारों पे चलो, चाँद सितारों में उड़ो