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नज़्म
महीने भर के रोज़ों ब'अद हक़ ने दिन ये दिखलाया
अलल-ऐलान खाया दोस्तों के साथ जो पाया
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ये बातें किस तरह पूछूँ में सावन के महीने से
मिरी तनहाइयो तुम ही लगा लो मुझ को सीने से