आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "मारा"
नज़्म के संबंधित परिणाम "मारा"
नज़्म
इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
जौन एलिया
नज़्म
ग़ैर की बस्ती है कब तक दर-ब-दर मारा फिरूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
बल्ली-मारां के मोहल्ले की वो पेचीदा दलीलों की सी गलियाँ
सामने टाल की नुक्कड़ पे बटेरों के क़सीदे
गुलज़ार
नज़्म
नुशूर वाहिदी
नज़्म
कोई तक़दीर का मारा हुआ फ़रियाद करता है
तिरी आँखों में अश्क-ए-ग़म उतर आए तो आ जाना