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नज़्म
मिनिस्टर मुझ को बनवा दो ख़ज़ाना-जात का मामूँ
हुकूमत ही तुम्हारी है तो डर किस बात का मामूँ
खालिद इरफ़ान
नज़्म
जिस को अमरीकी सुअर खाते थे वो खाएगा कौन
साथ में गंदुम के मिस्टर घुन को पिसवाएगा कौन
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
मौलवी हाली हूँ या मिस्टर कलीमुद्दीन हूँ
उन की नज़रों में ग़ज़ल बे-रब्तई-ए-अफ़्कार है
असरार जामई
नज़्म
सुनाऊँ किस को जा कर अपनी अर्ज़ानी का अफ़्साना
यक़ीं कीजे मिरे हक़ में न मिस्टर है न मौलाना