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नज़्म
दुनिया तिरे ख़याल में है चश्मा-ए-सराब
रंगीनी-ए-निशात-ओ-तरब ख़्वाब-ए-दोश है
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
''वफ़ादारी में शैख़ ओ बरहमन की आज़माइश है''
वहाँ रंगीनी-ए-शेर-ओ-सुख़न की आज़माइश है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ज़िंदगी मुज़्मर है तेरी शोख़ी-ए-तहरीर में
ताब-ए-गोयाई से जुम्बिश है लब-ए-तस्वीर में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नक़्श फ़रियादी है इन की शोख़ी-ए-तहरीर का
म'अरका होता है अब तदबीर का तक़दीर का
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
नक़्श-ए-फ़र्यादी है तेरी शोख़ी-ए-तहरीर का
काग़ज़ी है पैरहन हर पैकर-ए-तस्वीर का
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
दिलों को अब भी चमकाती है शम-ए-आरज़ू तेरी
लब-ए-तहरीर पर अब तक है शीरीं गुफ़्तुगू तेरी
मयकश अकबराबादी
नज़्म
रात आती थी सुनाने सोज़ का पैग़ाम जब
मश्क़-ए-तहरीर-ए-जुनूँ बनता था तेरा नाम जब
मख़दूम मुहिउद्दीन
नज़्म
अभी परसों तो है रंगीनी-ए-हालात की छुट्टी
फिर उस के ब'अद पूरे माह है बरसात की छुट्टी
खालिद इरफ़ान
नज़्म
मैं इस रंगीनी-ए-औराक़ से दिल-शाद क्या हूँगा
मिरे दिल में नहीं अब आरज़ू-ए-ख़ुल्द भी बाक़ी