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नज़्म
तुम्हें उदासी की रंजिशों से रिहा करेंगे
अगरचे हम ऐसे ख़ाक-ज़ादों की दस्तरस में शिफ़ा नहीं है
अरसलान अब्बास
नज़्म
तेरी रंजिशों ने साँस दी बेचैनियों ने नींद
हमें ख़ुश-नुमा माहौल और सुकून काट खाएँगे
दर्शिका वसानी
नज़्म
हो नस्ल-ए-नौ की कशाकश का कोई इस में वुजूद
न गुज़रे सालों की उन रंजिशों के साथ आए
ज़ुबैर अहमद सानी
नज़्म
रंजिश जो हमारे बीच रही तो आग फ़लक ने बरसाई
अब सोच न कुछ मौसम को समझ ऐ यार ये पहली बारिश है
सुहैल काकोरवी
नज़्म
आपस की फूट से हो क्यूँ दिल-फ़िगार दोनों
हाँ छोड़ दो ये रंजिश बन जाओ यार दोनों
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
ग़रीबी को मिटा देंगे ग़रीबी को मिटा देंगे
किसी के ऐश से बे-वासता रंजिश नहीं हम को