aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "राह-रौ"
यूँही जैसे ख़ुद रह गया हूँ कसी फूल के पासचलते हुए
आज मैं दूर बहुत दूर निकल आया हूँबे-तलब तग-ओ-दौ
फिर कोई आया दिल-ए-ज़ार नहीं कोई नहींराह-रौ होगा कहीं और चला जाएगा
ज़ात की सदा आईराह-ए-शौक़ में जैसे राह-रौ का ख़ूँ लपके
राहज़न हार गएराह-रौ जीत गए
इक अजनबी राह-रौ की तरहथपथपाया करेगी
आहट किसी क़दमों कीऔर कोई नहीं हो राह-रौ
कोई राह-रौ किसी राह मेंजिसे हो फ़क़त यही आरज़ू
उस खंडर मेंजहाँ मुर्दा सदियों के भटके हुए राह-रौ
एक ऐसी मंज़िल का राह-रौजो फ़क़त तमन्ना थी रौशनी थी
राह-रौ आए और वो उस कोघर में मदऊ' करे मोहब्बत से
कभी इक राह-रौ जल्दी में होता हैकभी ख़्वाहिश तो होती है
ये समाँ बर्फ़ से ढक जाएगाराह-रौ रास्ता चलते हुए थक जाएगा
राह-रौ अपनी मसाफ़त का सिला माँगेंगेरहनुमा अपनी सियासत पे पशेमाँ होंगे
हर हाल में फिर भी मुक़द्दम काविश-ए-आसूदगीहम आसमाँ के राह-रौ
तू मक़्सूद पर राह-रौ रुक न जानाकि मंज़िल से आगे निशाँ और भी हैं
ये सियह-पैकर बरहना राह-रौये घरों में ख़ूबसूरत औरतों का ज़हर-ए-ख़ंद
राहबर सब को मसाफ़त का सिला देता रहेराह-रौ अपने तजस्सुस का सिला पाते रहें
राह-रौ सख़्त अँधेरों के सियह दाग़ों कोअपने 'आरिज़ के पसीने से नहीं धो सकता
यहाँ कोई राह-रौ नहीं है न कोई मंज़िलयहाँ अंधेरा नहीं उजाला नहीं कोई शय नहीं है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books