आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रूठी"
नज़्म के संबंधित परिणाम "रूठी"
नज़्म
ख़ुद-ब-ख़ुद रूठी हुई बिफरी हुई बिखरी हुई
शोर-ए-पैहम से दिल-ए-गीती को धड़काती हुई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
बयाँ करती हूँ क्यूँ रूठी रही है ज़िंदगी मुझ से
ग़लतियाँ हैं जो मेरी सब सर-ए-औराक़ रखती हूँ
असना बद्र
नज़्म
कहीं कलियों को छेड़ा है कहीं फूलों को चूमा है
गले मिल मिल के पत्तों से वो यूँ रूठी बहार आई
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
बादल कम कम आते हैं और बारिश कब से रूठी है
नहरें बंद पड़ी हैं जब से सारी धरती सूखी है