आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "रौनक़"
नज़्म के संबंधित परिणाम "रौनक़"
नज़्म
इंसान की क़िस्मत गिरने लगी अजनास के भाव चढ़ने लगे
चौपाल की रौनक़ घुटने लगी भरती के दफ़ातिर बढ़ने लगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
रस्ते में शहर की रौनक़ है इक ताँगा है दो कारें हैं
बच्चे मकतब को जाते हैं और तांगों की क्या बात कहूँ
मीराजी
नज़्म
तेरे हम-उम्रों की महफ़िल ही से तो रौनक़ थी
महफ़िलें अब वो सजाऊँ तो सजाऊँ कैसे
सलाहुद्दीन अय्यूब
नज़्म
कुछ और भी रौनक़ में बढ़े शोल-ए-तक़रीर
हर दिन हो तिरा लुत्फ़-ए-ज़बाँ और ज़ियादा