aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "लकीर-ए-संग"
हम को जो मिल गया तसलसुल सेनज़र-ए-तूफ़ान-ए-संग तो न करें
साक़ी-ए-वक़्त के रुख़्सार पे लहराया हैये है तारीक फ़ज़ाओं में उजाले की लकीर
तेरे भी गिर्द इक हिसार-ए-संगमेरे भी गिर्द इक हिसार-ए-संग
ये ख़्वाब मर गए हैं तो बे-रंग है हयातयूँ है कि जैसे दस्त-ए-तह-ए-संग है हयात
मेरा वजूददीवार-ए-संग-ओ-आहन है
लम्हों की उर्यानियाँदा’वत-ए-संग
ऐ मेरे राज़दाँ मेरी चादर कि जिस से है लिपटी हुई ये ख़िज़ाँमेरे हाथों की मेहंदी में डूबी हुई ये लकीर-ए-निहाँ जिस में अगली सदी की हैं रानाइयाँ खो ना जाएँ कहीं
अबरही सैलाबये संग-रेज़ो से
ये शो'ला ये शबनम ये मिट्टी ये संगये झरनों के बजते हुए जल-तरंग
हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक-रंग हैं आजआबगीनों में तपाँ वलवला-ए-संग हैं आज
कि ये मुदावा-ए-संग-ओ-सर का तिलिस्मकब तक तना रहेगा
और शहर-ए-संग मेंफिर मोम का जादू चला
निगाहों में उजड़ते शहर की मानिंद तस्वीरों का मेला हैहुजूम-ए-संग-ओ-आहन में
सहर के उफ़ुक़ सेदेर तक बारिश-ए-संग होती रही
''मजबूरी ओ दावा-ए-गिरफ़्तारी-ए-उलफ़तदस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा पैमान-ए-वफ़ा है''
धुएँ और कोहरे की परछाइयों से परेआतिश-ए-संग-ए-बे-ताब
नंग-ए-पारसाई हूँवज्ह-ए-संग-सारी हूँ!
मोतियों की कान हैया रग-ए-संग-ए-गिराँ-माया की इक पहचान है
मिरी जवानी के ताने-बानेहर इक रग-ए-संग में रवाँ हैं
बतलाओ तो क्याये सच है मेरे तआक़ुब में
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