आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "लज्ज़त-ए-दर्द-ए-ख़स्तगी"
नज़्म के संबंधित परिणाम "लज्ज़त-ए-दर्द-ए-ख़स्तगी"
नज़्म
ये दर्द-ए-ज़िंदगी किस की अमानत है किसे दे दूँ
कोई वारिस नहीं इस का मताअ-ए-राएगाँ है ये
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
सड़ चुके इस के अनासिर हट चुका सोज़-ए-हयात
अब तुझे फ़िक्र-ए-इलाज-ए-दर्द-ए-इंसाँ है तो क्या
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
थे बहुत बेदर्द लम्हे ख़त्म-ए-दर्द-ए-इश्क़ के
थीं बहुत बे-मेहर सुब्हें मेहरबाँ रातों के बा'द