आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "लिखा"
नज़्म के संबंधित परिणाम "लिखा"
नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
दिया रोना मुझे ऐसा कि सब कुछ दे दिया गोया
लिखा कल्क-ए-अज़ल ने मुझ को तेरे नौहा-ख़्वानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं क्या लिखूँ कि जो मेरा तुम्हारा रिश्ता है
वो आशिक़ी की ज़बाँ में कहीं भी दर्ज नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
लिखा था अर्श के पाए पे इक इक्सीर का नुस्ख़ा
छुपाते थे फ़रिश्ते जिस को चश्म-ए-रूह-ए-आदम से
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
क्या यही कुछ मिरी क़िस्मत में लिखा है तू ने
हर मसर्रत से मुझे आक़ किया है तू ने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
मैं ने इक पेड़ पे जो नाम लिखा था अपना
कुछ दिनों ज़ख़्म के मानिंद वो ताज़ा होगा