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नज़्म
मुझे ऐ हम-नशीं रहने दे शग़्ल-ए-सीना-कावी में
कि मैं दाग़-ए-मोहब्बत को नुमायाँ कर के छोड़ूँगा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
फाइलें घर में पड़ी हैं और दफ़्तर में है घर
शग़्ल-ए-बेकारी बहुत है वक़्त बेहद मुख़्तसर
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
अली अकबर नातिक़
नज़्म
मेरा हर फ़े'ल तिरे फ़े'ल का आईना बना
भा गया मुझ को हर इक शग़्ल तेरा तेरे बाद
ज़ाहिदा ख़ातून शरवानिया
नज़्म
मेरी महबूब उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है उसे शक्ल-ए-जमील