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नज़्म
चलो अब दुआ करो नज़्में पढ़ो विसाल की सब आयतें पढ़ो
क्या रह गया है शाम का अब रात से फ़राग़
असलम इमादी
नज़्म
विसाल-रुत की ये पहली दस्तक ही सरज़निश है
कि हिज्र-मौसम ने रस्ते रस्ते सफ़र का आग़ाज़ कर दिया है