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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
जैसे ख़ुद भी रहे हों शामिल-ए-फ़ौज-ए-शब्बीर
हाल इस जंग का दुनिया को सुनाया क्या क्या
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
रहबर जौनपूरी
नज़्म
मैं तुम में शामिल-ए-सफ़र हूँ मगर पनाह माँगता अपनी अजल को ढूँढता हूँ
और जो अपनी अजल को ढूँढता है
अहमद हमेश
नज़्म
''या हाथों-हाथ लो मुझे मानिंद-ए-जाम-ए-मय''
''या थोड़ी दूर साथ चलो मैं नशे में हूँ''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ज़मज़मे का इत्र कैफ़-ए-नग़्मा लय की पुख़्तगी
शोरिश-ए-मय, लग़्ज़िश-ए-मय-नोश, जोश-ए-बे-ख़ुदी
शाद आरफ़ी
नज़्म
नहीं मैं महरम-ए-राज़-ए-दरून-ए-मय-कदा लेकिन
यही महसूस होता है कि हर शय कुछ दिगर-गूँ है