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नज़्म
तल्क़ीन सर-ए-क़ब्र पढ़ें 'मोमिन'-ए-मग़्फ़ूर
फ़रियाद दिल-ए-'ग़ालिब'-ए-मरहूम से निकले
रईस अमरोहवी
नज़्म
कल वॉशिंगटन शहर की हम ने सैर बहुत की यार
गूँज रही थी सब दुनिया में जिस की जय-जय-कार
अहमद फ़राज़
नज़्म
यादों के बे-म'अनी दफ़्तर ख़्वाबों के अफ़्सुर्दा शहाब
सब के सब ख़ामोश ज़बाँ से कहते हैं ऐ ख़ाना-ख़राब
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
रक़्स-ए-मीना से उठे नग़्मा-ए-रक़्स-ए-बिस्मिल
साज़ ख़ुद अपने मुग़न्नी को गुनहगार करें
अहमद फ़राज़
नज़्म
सब अब्रन तन पर झमक रहा और केसर का माथे टीका
हँस देना हर-दम नाज़-भरा दिखलाना सज-धज शोख़ी का
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
शराब-ए-नौ की मस्तियाँ, कि अल-हफ़ीज़-ओ-अल-अमाँ
मगर वो इक लतीफ़ सा सुरूर-ए-बादा-ए-कुहन
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
मैं हूँ 'मजाज़' आज भी ज़मज़मा-ए-संज-ओ-नग़्मा-ख़्वाँ
शाइर-ए-महफ़िल-ए-वफ़ा मुतरिब-ए-बज़्म-ए-दिलबराँ