aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "सर-ए-चश्म"
सर-ए-चश्म-ए-अक़ीदतशिव की मूरत थी
ये बड़ा चाँद चमकता हुआ चेहरा खोलेबैठा रहता है सर-ए-बाम-ए-शबिस्ताँ शब को
और शहर-ए-वफ़ा से दश्त-ए-जुनूँ कुछ दूर नहींहम ख़ुश न सही, पर तेरे सर का वबाल गया
जो पता था अपने घर कासर-ए-कू-ए-ना-शनायाँ
कहाँ से आई निगार-ए-सबा किधर को गईअभी चराग़-ए-सर-ए-रह को कुछ ख़बर ही नहीं
अगर यक-सर-ए-मू-ए-बरतर परमफ़रोग़-ए-तजल्ली ब-सोज़द परम
ने'मतें सौ हैं तेरे खाने कोलेकिन ऐ नूर-ए-चश्म-ओ-जान-ए-मन
सर-ए-बाज़ार दरीचे में सर-ए-बिस्तर-ए-संजाब कभीतू मेरे सामने आईना रही
सर-ए-शामदम तोड़ती रौशनी
सर-ए-अर्सा-ए-ख़स्तगीख़ामुशी लापता है
ज़माने के डर सेसर-ए-रह-गुज़र
आज के ब'अद मगर रंग-ए-वफ़ा क्या होगाइश्क़ हैराँ है सर-ए-शहर-ए-सबा क्या होगा
सर-ए-बाज़ार-ए-हवस प्यार का फ़न बिकता है
और आवाज़ों के साहिल परसर-ए-मौज-ए-फ़रावाँ
गोशा-ए-चशम से काजल की स्याही अभी आँसू बन करबहते ग़ाज़े में नहीं जज़्ब हुई
गोशा-ए-चशम से काजल की सियाही अभी आँसू बन करबहते ग़ाज़े में नहीं जज़्ब हुई
मुसाफ़िर जब थका-हारासर-ए-मंज़िल
ये सोचा था हमारा राज होगासर-ए-मेहनत-कशाँ पर ताज होगा
रस्ते सजाएँआँसुओं के रतजगों से आरज़ू-ए-चशम-ए-तर पैदा करें
सर-ए-राह सखी सर-ए-महफ़िल सखीरुख़ से झलके है हाल-ए-दिल सखी
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