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नज़्म
मुंदमिल ज़ख़्मों से फूटे नई ख़ुनकी ले कर
प्यास जाग उट्ठे सुकूत-ए-दिल-ए-मुज़्तर टूटे
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मुंदमिल ज़ख़्मों से फूटे नई ख़ुनकी ले कर
प्यास जाग उट्ठे सुकूत-ए-दिल-ए-मुज़्तर टूटे