आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "हर्फ़-ए-इनायत"
नज़्म के संबंधित परिणाम "हर्फ़-ए-इनायत"
नज़्म
चमकते हुए सब बुतों को मिटा दो
कि अब लौह-ए-दिल से हर इक नक़्श हर्फ़-ए-ग़लत की तरह मिट चुका है
फ़ख़्र-ए-आलम नोमानी
नज़्म
हमारी जान तक नज़्र-ए-इनायत है बग़ावत है
वफ़ादारी पे धब्बा है ये तोहमत है बग़ावत है
बशीरुद्दीन राज़
नज़्म
किसी के दस्त-ए-इनायत ने कुंज-ए-ज़िंदाँ में
किया है आज अजब दिल-नवाज़ बंद-ओ-बस्त
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
यहीं की थी मोहब्बत के सबक़ की इब्तिदा मैं ने
यहीं की जुरअत-ए-इज़हार-ए-हर्फ़-ए-मुद्दआ मैं ने